(ਕੇਦਾਰਨਾਥ ਸਿੰਘ ਹਿੰਦੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਵੀ ਹਨ। ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਸਾਲ ‘ਗਿਆਨ ਪੀਠ’
ਪੁਰਸਕਾਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਹੇਠਾਂ ‘ਸੀਰਤ’ ਦੇ ਪਾਠਕਾਂ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਪੰਜ ਕਵਿਤਾਵਾਂ
ਪੇਸ਼ ਹਨ-ਸੰਪਾਦਕ)
1-अकाल में दूब
भयानक सूखा है
पक्षी छोड़कर चले गए हैं
पेड़ों को
बिलों को छोड़कर चले गए हैं चींटे
चींटियाँ
देहरी और चौखट
पता नहीं कहाँ-किधर चले गए हैं
घरों को छोड़कर
भयानक सूखा है
मवेशी खड़े हैं
एक-दूसरे का मुँह ताकते हुए
कहते हैं पिता
ऐसा अकाल कभी नहीं देखा
ऐसा अकाल कि बस्ती में
दूब तक झुलस जाए
सुना नहीं कभी
दूब मगर मरती नहीं -
कहते हैं वे
और हो जाते हैं चुप
निकलता हूँ मैं
दूब की तलाश में
खोजता हूँ परती-पराठ
झाँकता हूँ कुँओं में
छान डालता हूँ गली-चौराहे
मिलती नहीं दूब
मुझे मिलते हैं मुँह बाए घड़े
बाल्टियाँ लोटे परात
झाँकता हूँ घड़ों में
लोगों की आँखों की कटोरियों में
झाँकता हूँ मैं
मिलती नहीं
मिलती नहीं दूब
अंत में
सारी बस्ती छानकर
लौटता हूँ निराश
लाँघता हूँ कुएँ के पास की
सूखी नाली
कि अचानक मुझे दिख जाती है
शीशे के बिखरे हुए टुकड़ों के बीच
एक हरी पत्ती
दूब है
हाँ-हाँ दूब है -
पहचानता हूँ मैं
लौटकर यह खबर
देता हूँ पिता को
अँधेरे में भी
दमक उठता है उनका चेहरा
'है - अभी बहुत कुछ है
अगर बची है दूब...'
बुदबुदाते हैं वे
फिर गहरे विचार में
खो जाते हैं पिता
-0
2-अँगूठे का निशान
किसने बनाए
वर्णमाला के अक्षर
ये काले-काले अक्षर
भूरे-भूरे अक्षर
किसने बनाए
खड़िया नेचिड़िया के पंख ने
दीमकों ने
ब्लैकबोर्ड ने
किसने
आखिर किसने बनाए
वर्णमाला के अक्षर
'मैंने... मैंने'-
सारे हस्ताक्षरों को
अँगूठा दिखाते हुए
धीरे से बोला
एक अँगूठे का निशान
और एक सोख्ते में
गायब हो गया
-0-
3- कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए
मेरे बेटे
कुँए में कभी मत झाँकना
जाना
पर उस ओर कभी मत जाना
जिधर उड़े जा रहे हों
काले-काले कौए
हरा पत्ता
कभी मत तोड़ना
और अगर तोड़ना तो ऐसे
कि पेड़ को जरा भी
न हो पीड़ारात को रोटी जब भी तोड़ना
तो पहले सिर झुकाकर
गेहूँ के पौधे को याद कर लेना
अगर कभी लाल चींटियाँ
दिखाई पड़ें
तो समझना
आँधी आने वाली है
अगर कई-कई रातों तक
कभी सुनाई न पड़े स्यारों की आवाज
तो जान लेना
बुरे दिन आने वाले हैं
मेरे बेटे
बिजली की तरह कभी मत गिरना
और कभी गिर भी पड़ो
तो दूब की तरह उठ पड़ने के लिए
हमेशा तैयार रहना
कभी अँधेरे में
अगर भूल जाना रास्ता
तो ध्रुवतारे पर नहीं
सिर्फ दूर से आनेवाली
कुत्तों के भूँकने की आवाज पर
भरोसा करना
मेरे बेटे
बुध को उत्तर कभी मत जाना
न इतवार को पच्छिम
और सबसे बड़ी बात मेरे बेटे
कि लिख चुकने के बाद
इन शब्दों को पोंछकर साफ कर देना
ताकि कल जब सूर्योदय हो
तो तुम्हारी पटिया
रोज की तरह
धुली हुई
स्वच्छ
चमकती रहे
-0-
4- मातृभाषा
जैसे चींटियाँ लौटती हैं
बिलों में
कठफोड़वा लौटता है
काठ के पास
वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
लाल आसमान में डैने पसारे हुए
हवाई-अड्डे की ओर
ओ मेरी भाषा
मैं लौटता हूँ तुम में
जब चुप रहते-रहते
अकड़ जाती है मेरी जीभ
दुखने लगती है
मेरी आत्मा
-0-
5- ओ मेरी उदास पृथ्वी
घोड़े को चाहिए जई
फुलसुँघनी को फूल
टिटिहिरी को चमकता हुआ पानी
बिच्छू को विष
और मुझे ?
गाय को चाहिए बछड़ा
बछड़े को दूध
दूध को कटोरा
कटोरे को चाँद
और मुझे ?
मुखौटे को चेहरा
चेहरे को छिपने की जगह
आँखों को आँखें
हाथों को हाथ
और मुझे ?
ओ मेरी घूमती हुई
उदास पृथ्वी
मुझे सिर्फ तुम...
तुम... तुम...
-0-
|